View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3373 | Date: 19-Apr-19991999-04-191999-04-19दिलमें जगे जब प्यास प्यार की, रूक नहीं सकते कदमSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=dilamem-jage-jaba-pyasa-pyara-ki-ruka-nahim-sakate-kadamaदिलमें जगे जब प्यास प्यार की, रूक नहीं सकते कदम,
नहीं लगता मन कहीं, चाहता है वो दीदारे सनम ।
कुछ नहीं आता समझमें, दिलमें छा जाता है जुनून,
हर आह पर निकले नाम यार का, मनमें होती है उसकी लगन,
अंग अंग चाहे मिलना उसे दिलमें, लगती है कुछ ऐसी अगन।
देखते ही जायें उसे, ना हटे नज़र हमारे, हों ऐसे करम,
क्या करें बात और हमें नहीं रहती है खुद को खुद की खबर।
जिस्म रहे जाता है कुछ ऐसे, जान रहकर भी नहीं रहती,
नहीं दिखता फिर कुछभी हमें, कि जहाँ सूरत तेरी नज़र आये,
बस चारों और देखा करें तुझे हम तो बस यही चाहें ।
दिलमें जगे जब प्यास प्यार की, रूक नहीं सकते कदम