View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3220 | Date: 01-Feb-19991999-02-011999-02-01कदम-कदम पर अपने ही रूप बदलते मैं देखता हूँSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kadamakadama-para-apane-hi-rupa-badalate-maim-dekhata-humकदम-कदम पर अपने ही रूप बदलते मैं देखता हूँ,
कहना ये मुश्किल है, एक ही पल रूप कितने मैं बदलता हूँ।
शायद इसलिए ही हरदम अपनेआप से अनजान रहता हूँ,
करुँ कोशिश पहचानने की, वही रूप आज मैं बदलता हूँ,
इसलिए ही अपनेआप से अनजान मैं रहता हूँ।
अपनी भावनाओं की दुनिया में, मैं हरदम खोया रहता हूँ,
के अपनी इच्छाओं के बंधनों से मुक्ति नही पाता हूँ ।
चाहता नही मैं बदलना इतनी जल्दी पर मजबूर रहता हूँ,
कौनसा रूप है मेरा सच्चा, के यही सोचता रहता हूँ,
परिवर्तन तो है संसार का नियम, पर मैं तो अस्थिर ही रहता हूँ ।
कदम-कदम पर अपने ही रूप बदलते मैं देखता हूँ