View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1980 | Date: 03-Feb-19971997-02-031997-02-03मंजिल की भी मंजिल है, जो मुझे उस मंजिल को पाना हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=manjila-ki-bhi-manjila-hai-jo-muje-usa-manjila-ko-pana-haiमंजिल की भी मंजिल है, जो मुझे उस मंजिल को पाना है,
जहाँ से होती है शुरूआत सारी, जहाँ सबकुछ खत्म हो जाता है।
मुझे उस मोड़ पर पहुँचना है, मुझे उस मोड़ को जानना है,
जान जाते है, जिसे जानने से सबकुछ सारा अज्ञान मिट जाता है|
मुझे उस निर्मल अटल और सत्य ज्ञान को तो जरूर जानना है,
जो नही बदलता कभी, अँधेरे में ना ही कभी कम होता है।
ऐसे दिव्य प्रकाश में तो अब हमें अपना बसेरा करना है,
जिसे पाने से पा लूँ मैं सबकुछ, अब उसे मुझे पाना है।
छोटे-मोठे काज़ किए बहुत जीवन में, अब अजुबा करना है,
बसा है जो सब के दिल में, उसी परम विश्वास को पाना है|
मंजिल की भी मंजिल है, जो मुझे उस मंजिल को पाना है