View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2470 | Date: 11-Jun-19981998-06-111998-06-11मेरी दर्द भरी दास्ताँ कभी खत्म ना होती, जो प्रभु आपसे मुलाकात ना होती।Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=meri-darda-bhari-dastam-kabhi-khatma-na-hoti-jo-prabhu-apase-mulakataमेरी दर्द भरी दास्ताँ कभी खत्म ना होती, जो प्रभु आपसे मुलाकात ना होती।
होठों पर रहती फरियाद उम्रभर, शिकायतों में कमी कभी ना आती, जो प्रभु ...
बेहाल और बिखरा हुआ रहता, ना चेहरे पर कभी मुस्कान आती, जो प्रभु ...
ईर्ष्या और अहंकार की आग में जलता रहता जीवनभर, ना ये जलन कभी कम होती।
कैसे पाता मैं अपनी मंजिल को, कि जो प्रभु आपसे मुलाकात ना होती।
कैसे जान पाता मैं अपनेआप को, ज्ञान की बरसात ना होती।
रहता मैं बेबस जीवन में, मेरी बेबसी कभी कम ना होती।
कैसे निहारता मैं अपनेआप को, की जहाँ आँखों में रोशनी ही ना होती।
कैसे जानता मैं खुदाई को, के खुद की जान पहचान करवानेवाले आप हो, जो प्रभु ...
कैसे जीतता मैं अपने मन को, के मेरे मन को हरानेवाला ना मिलता, जो प्रभु ...
मेरी दर्द भरी दास्ताँ कभी खत्म ना होती, जो प्रभु आपसे मुलाकात ना होती।