View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2461 | Date: 09-Jun-19981998-06-091998-06-09तेरी कृपा, तेरी इनायत को मैं जानता हूँ, मैं मानता हूँ।Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=teri-kripa-teri-inayata-ko-maim-janata-hum-maim-manata-humतेरी कृपा, तेरी इनायत को मैं जानता हूँ, मैं मानता हूँ।
क्योंकि जो भी हूँ आज में, वे अपने भाग्य से नही, इस बात को जानता हूँ।
बरस रही है तेरी कृपा, तेरी इनायत मुझपर, रह सदा यही चाहता हूँ।
पाया मैंने जो तेरी नजरों से, उसे अब के ना गँवाना चाहता हूँ।
बिखरा हुआ था मैं, पर आज मैं अपनेआप को सँवरा हुआ पाता हूँ।
पाकर तेरा प्यार अब, मैं हरपल एक मस्ती में रहता हूँ।
अपने कर्मों की क्या बात करुँ, के ना उनसे कोई उम्मीद करता हूँ।
स्वार्थ में था अबतक, डुबाकर कहाँ कोई अच्छा काम करता हूँ।
पर पाई तेरी इनायत, तो, इस बात का एहसास मैं करता हूँ।
तेरी कृपा, तेरी इनायत को मैं जानता हूँ, मैं मानता हूँ।