Share आती है बात जब बलिदान की, सुनी अनसुनी करके नादान हम बन जाते हैं; नादानियत की ओढ़ के चादर हम सो जाते हैं |- संत श्री अल्पा माँ आती है बात जब बलिदान की, सुनी अनसुनी करके नादान हम बन जाते हैं; नादानियत की ओढ़ के चादर हम सो जाते हैं | - संत श्री अल्पा माँ Previous आती है जब समझ, समझ जो समझ ने की, देर बहुत तब हो जाती है Next आने वाले हर पल से अनजान हैं यारों