Share कभी जज़्बात में कुछ इस तरह बह गए कि जल्दबाज़ी हम कर गए, धरना था धीरज, पर तब तो सब कुछ भूल गए |- संत श्री अल्पा माँ कभी जज़्बात में कुछ इस तरह बह गए कि जल्दबाज़ी हम कर गए, धरना था धीरज, पर तब तो सब कुछ भूल गए | - संत श्री अल्पा माँ Previous कभी कभी ऐसा भी तो हम करते रहते हैं Next कभी तुझे बहुत करीब तो कभी बहुत दूर पाते हैं