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नहीं जानता कोई कल है भी की नहीं,
फिर भी रही सबको कल की फ़िक्र है |
जी रहे हैं खुद ही फ़िक्र में,
पर पूछने पर कहते हैं,
यही तो हमारी तकदीर है |

- संत श्री अल्पा माँ
नहीं जानता कोई कल है भी की नहीं,
फिर भी रही सबको कल की फ़िक्र है |
जी रहे हैं खुद ही फ़िक्र में,
पर पूछने पर कहते हैं,
यही तो हमारी तकदीर है |



- संत श्री अल्पा माँ

 
नहीं जानता कोई कल है भी की नहीं,
फिर भी रही सबको कल की फ़िक्र है |
जी रहे हैं खुद ही फ़िक्र में,
पर पूछने पर कहते हैं,
यही तो हमारी तकदीर है |
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