View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4299 | Date: 27-Oct-20012001-10-272001-10-27आँखों का कहना क्या, बिना पहचान ही पहचान बना लेती हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=ankhom-ka-kahana-kya-bina-pahachana-hi-pahachana-bana-leti-haiआँखों का कहना क्या, बिना पहचान ही पहचान बना लेती है,
हो जाये जब खफा तो खंजर दिल पर चला देती है,
खुश होने पर कई बाग बगीचों को ये महका चहका देती हैं,
बरसाए ये जो सावन, तो सारे जहाँ को ये डूबा देती हैं,
हाय इनके खुलने और बंद होने के बीच में क्या क्या हो जाता है,
दिलों के कारवाँ तो इनके दम पर चलते जाते हैं,
रुका देती है कभी साँसों की गति को, कभी धडकन बंद कर देती हैं,
इनके नाज़ो अंदाज का क्या कहना, खुदा को भी दीवाना कर देती हैं,
कभी प्यास बनकर उतर जाती है सीने में, कभी तड़प जगा देती है,
हाले दिल की दास्तां बिना कहे, कहे ही देती हैं, आँखों का .....
आँखों का कहना क्या, बिना पहचान ही पहचान बना लेती है