View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1821 | Date: 15-Oct-19961996-10-151996-10-15दुःख-दर्द से तंग आकर जो चैन पाना चाहते है, वह चैन कभी ना पा सकते हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=duhkhadarda-se-tanga-akara-jo-chaina-pana-chahate-hai-vaha-chaina-kabhiदुःख-दर्द से तंग आकर जो चैन पाना चाहते है, वह चैन कभी ना पा सकते है,
जिन्होंने ठानी है चैन पाने कि, उनका सुकून ना कोई छिन सकता है|
डर डर के करे जो काज, सफलता उस में तो नही मिलती है,
करते है जो अपना काज पूर्ण विश्वास से वे सफलता को पाते ही है|
है जिनके इरादे बुलंद, उनके इरादे भला कौन तोड़ सकता है,
पर जिते है जो झूठे ख्यालों में, उनकी कश्ती कौन पार लगा सकता है|
जान लेते है जो जीवन को पूर्ण रूप से, वे फिर कहाँ कुछ कहते है|
दुविधा में जिनेवाले लोग कहाँ सुख-चैन से जी पाते है|
सुख-दुःख में जो जिना चाहे वह, परमानंद को प्राप्त नही कर पाते है|
रहते है जो हर वक्त प्रभु के संग, उनका आनंद ना कोई छिन सकता है|
दुःख-दर्द से तंग आकर जो चैन पाना चाहते है, वह चैन कभी ना पा सकते है