View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2008 | Date: 13-Feb-19971997-02-131997-02-13हकिकतों में भी कुछ हकिकते होती हैं, ऐसी जिन्हें हम बयान कर नही पाते है।Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=hakikatom-mem-bhi-kuchha-hakikate-hoti-haim-aisi-jinhem-hama-bayana-karaहकिकतों में भी कुछ हकिकते होती हैं, ऐसी जिन्हें हम बयान कर नही पाते है।
करे तो कैसे बयान करे, कि इनके लिए लब्ज ही हम ढूँढ नही पाते है।
ऐसी हकिकतें हैं ये जो जिन्हे हम सिर्फ महसूस कर पाते है|
देखकर भी नही देख पाते है, पास रहकर भी नही हम संग पाते है|
ऐसी एक हकिकत है तू ए खुदा, जिसे हम बयान कर नही पाते है|
अगर करते बैठ़े बयान तो कुछ, कमी ही कमी अपने बयान में हम पाते है।
कहे तो ज्यादा से ज्यादा हम इतना बस कह सकते है|
तू ही है बस एक हकिकत सच्ची, बाकी नजरों का धोखा है|
करे तो कैसे करे दीदार हम तेरा, जहाँ हम कुछ देख ही नही पाते है|
हम भी अब की बार तो कुछ ऐसी ही हकिकत बनना चाहते है|
हकिकतों में भी कुछ हकिकते होती हैं, ऐसी जिन्हें हम बयान कर नही पाते है।