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Hymn No. 4321 | Date: 17-Nov-20012001-11-172001-11-17हार की लगाके बाजी, जीत का जश्न मना रहा हूँSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=hara-ki-lagake-baji-jita-ka-jashna-mana-raha-humहार की लगाके बाजी, जीत का जश्न मना रहा हूँ,
बहुत कुछ पाया लगता है, फिर भी खाली रहा हूँ ।
बहुत जान पहचान है, मेरी फिरभी खुद से अंजान रहा हूँ,
क्या कहूँ और मैं कहके बहुत कुछ खामोश रहा हूँ ।
चाहतों के दर पर सदा बनके भिखारी खड़ा हुआ हूँ,
दास्तायें दर्द की कतार में सबसे आगे अड़ा हुआ हूँ ।
खुदा देख तो सही जरूरत मेरी के फिर भी कहता हूँ तुझसे जुड़ा हुआ हूँ,
जुड़ा हुआ हूँ या जुदा हुआ हूँ बस इस फर्क को समझ नहीं पाया हूँ।
बंधा हुआ हूँ कुछ ऐसे कि तुझे बाँधने की कोशिश कर रहा हूँ,
नाकामियाबीओं को अपनी देख तो कैसे कैसे छुपा रहा हूँ ।
हार की लगाके बाजी, जीत का जश्न मना रहा हूँ