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Hymn No. 4320 | Date: 17-Nov-20012001-11-172001-11-17तकदीरों का क्या, इनके तमाशे से आजतक कोई ना बच पाया हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=takadirom-ka-kya-inake-tamashe-se-ajataka-koi-na-bacha-paya-haiतकदीरों का क्या, इनके तमाशे से आजतक कोई ना बच पाया है,
किसीने ज्यादा तो किसीने कम, इनकी मार खायी है ।
कभी जी भरके दी है बददुवाएँ, कभी इन्हें बहुत सराहा है,
आखिर अपने आप से ही, कोई ना कोई, कहीं न कहीं, तो तंग आया है ।
तकदीरों के इस जालने इन्सान को ऐसे फँसाया है,
कि मुस्कुराता हुआ खुदा कहता है, तू बस एक खिलौना है ।
एक तो मार तकदीर की, ऊपर से यूँ हँसना तेरा,
सच कहते हैं हमें तो तू बड़ा बेरहम नज़र आया है,
पर क्या करे मदद को जब तुझे पुकारा है तो ये होना है,
कि तुझे रहमदिल कहेकर ही तो पुकारना है,
कि किसी भी हाल में आखिर जो खुद को बचाना है ।
तकदीरों का क्या, इनके तमाशे से आजतक कोई ना बच पाया है