View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2459 | Date: 08-Jun-19981998-06-081998-06-08जिंदगी एक धूप-सी लगे, गमों की बरसात आँखों से बरसे।Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=jindagi-eka-dhupasi-lage-gamom-ki-barasata-ankhom-se-baraseजिंदगी एक धूप-सी लगे, गमों की बरसात आँखों से बरसे।
कैसे करुँ याद तुझको खुदा, कि जहाँ दूर तू लगे।
आती है याद दुःख में तो अपनों की, साथ रहनेवालों की।
कैसे करुँ याद तुझे, कि तुझसे तो बहुत दूर मैं रहूँ।
लगाओ दिल जिससे, चोट लगने पर आता है जुबाँ पर नाम उसका।
कैसे पुकारुँ मैं तुझे, कि मेरा दिल तो किसी और से जुड़ा है।
है तड़प दिल में, मगर डरता हूँ समंदर में डूबने से।
कैसे करुँ मझधार पार मैं, कि कदम अपना आगे मैं ना बढ़ाऊँ
मेरे होठोपर कभी बनकर फरियाद तो तू सजे
कैसे करुँ याद मैं तुझे खुदा, कि तू तो बहुत मुझसे दूर लगे।
जिंदगी एक धूप-सी लगे, गमों की बरसात आँखों से बरसे।