View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2865 | Date: 15-Oct-19981998-10-151998-10-15कहा है मैंने पहले कई बार, बार-बार मैं यही कहता हूँ ।Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kaha-hai-mainne-pahale-kai-bara-barabara-maim-yahi-kahata-humकहा है मैंने पहले कई बार, बार-बार मैं यही कहता हूँ ।
लिखा है कई नगमों में मैंने, आगे अभी भी यही मैं लिखता हूँ ।
क्या बात है तुझमें पता नही, पर पास तेरे मैं आना चाहता हूँ ।
आकर पास तेरे जो पाया है मैंने, वह कही और ना पाता हूँ ।
लेकर आऊँ चाहे कैसे भी भाव पास तेरे, पर ना उन्हें साथ ले जाता हूँ ।
आऊँ पास तेरे, बैठुं मैं पल दो पल, उस में ही मैं तो बदल जाता हूँ ।
खिंचाव है ये कैसा? लगाव है ये कैसा? जिसे मैं जान नही पाता हूँ ।
पता नही क्या है तेरी आँखो में, के मैं उस में खोता जाता हूँ ।
आता हूँ पास तेरे, दुनियाभर की उपाधि पाने पर, पास तेरे आराम पाता हूँ ।
सारा बोझा मेरा कम हो जाता है, मैं आनंद में खेलने लगता हूँ ।
कैसा है ये जादू तेरा, के मैं तेरे जादू को जान नही पाता हूँ ।
पर आता हूँ जब भी पास तेरे, के मैं मुस्कुराने गुनगुनाने लग जाता हूँ ।
कहा है मैंने पहले कई बार, बार-बार मैं यही कहता हूँ ।