View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 3238 | Date: 11-Feb-19991999-02-111999-02-11कही ना कही, कभी ना कभी, मुझे पहचान अपनी मिल जाती हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kahi-na-kahi-kabhi-na-kabhi-muje-pahachana-apani-mila-jati-haiकही ना कही, कभी ना कभी, मुझे पहचान अपनी मिल जाती है,
खुदा तेरी इनायत, के फितरत खुद की खुद से नही छिपती है ।
कभी झूठे खयालों में डूबे हम तो, ये खुशी ना ज्यादा रहती है,
बहुत जल्दी टूट जाता है हमारी आशाओं का मीनारा, के उलझन मिट जाती है ।
स्वीकार कर पाए या ना कर पाए अपनेआप को, बात ये कुछ और होती है,
पर खुदा तेरी इनायत, के हमें सच्ची पहचान मिल जाती है ।
रूह हमारी अब के इन्साफ हमसे चाहती है,
जख्मों से घायल है ये अब कोई जख्म ना चाहती है ।
के ना कोई बेईमानी अब अपने से चाहती है,
खुदा, की तड़प तुमने पूरी इसकी, बात ये समझ में आती है ।
कही ना कही, कभी ना कभी, मुझे पहचान अपनी मिल जाती है