View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4257 | Date: 06-Sep-20012001-09-062001-09-06कर्ज कम करने आया हूँ, कर्ज बढ़ता जाता हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=karja-kama-karane-aya-hum-karja-badhata-jata-haiकर्ज कम करने आया हूँ, कर्ज बढ़ता जाता है,
वो अलग बात है खर्चा पानी अपना तू चलाता है ।
पहले से ही दबा हुआ ऊपर से वजन बढ़ता जाता है,
वो अलग बात है कभी कभी तू मेरा वजन झेल लेता है ।
ये वक्त के सितम हैं या कर्मो का, पता नहीं चलता है,
के चलते चलते राह में हमें तू चव्वनी दिखाता है ।
खाली पेट उठते हैं, पर खाली पेट तू सोने नहीं देता है ।
वो अलग बात है कि तू हमें उठाना चाहता रहता है ।
कर्ज कम करने आया हूँ, कर्ज बढ़ता जाता है