View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1900 | Date: 08-Dec-19961996-12-081996-12-08खो गई है मेरी मस्ती, मैं अपनी मस्ती को ढूँढ़ता हूँ|Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kho-gai-hai-meri-masti-maim-apani-masti-ko-dhundhata-humखो गई है मेरी मस्ती, मैं अपनी मस्ती को ढूँढ़ता हूँ|
रहे तेरा प्यार भरा चहेरा मेरी नजर के सामने, यही मैं चाहता हूँ|
तेरा दिया हुआ सबकुछ तुझको लौटा देना चाहता हूँ|
पाना चाहता हूँ मैं, मगर अपनी मस्ती में ही, मैं जिना चाहता हूँ|
जी रहा हूँ मैं मगर अपनी मस्ती में ही, मैं जीना चाहता हूँ|
जिस मोड़ पर जिस राह पर, खोई है अपनी मस्ती, वह मंज़र ढूँढ़ता हूँ|
पाऊँ अपने ध्येय को, इसलिए प्रभु कृपा तेरी चाहता हूँ|
तोड़कर, छोड़कर सारे बंधन, मैं मुक्त होना चाहता हूँ
दुःख-दर्द से भरे अपने खयालात को, मैं ठुकराना चाहता हूँ|
भूलकर सबकुछ मैं अपनी मस्ती के आलम, मैं रहना चाहता हूँ|
खो गई है मेरी मस्ती, मैं अपनी मस्ती को ढूँढ़ता हूँ|