View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1901 | Date: 10-Dec-19961996-12-101996-12-10नजरों में मेरी नशा बनकर तू छाया रहता है, फिर भी नजर के सामने तू क्यो नही आता है ?Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=najarom-mem-meri-nasha-banakara-tu-chhaya-rahata-hai-phira-bhi-najaraनजरों में मेरी नशा बनकर तू छाया रहता है, फिर भी नजर के सामने तू क्यो नही आता है ?
खयालों में मेरे तू बसा हुआ रहता है, फिर भी मुझे आवाज तू क्यों नही देता है ?
मेरा ऐसा कौन-सा अंदाज है? जो तुझे नही भाता है, तू मेरी पास क्यों नही आता है ?
ऐसे तो तेरी नजदीकी का एहसास हरदम हम पाते है, फिर तू क्यों तड़पाता है?
कभी बरसता है दिल पर हमारे प्यार बनकर, तो कभी हमारी प्यास बढ़ा तू जाता है|
है हम भी तेरे दीवाने, तेरे चाहनेवाले, ये जानकर भी अनजानों की तरह, क्यों तू रहता है ?
करता है हमारी आरजु को तू पूरी, बस एक ही आरजु हमारी तू ध्यान क्यों नही धरता है ?
तेरा मजाक हमारे लिए तो सजा बना हुआ है, ये जानकर भी तू क्यों हम बेचैन करता है ?
नजरों में मेरी नशा बनकर तू छाया रहता है, फिर भी नजर के सामने तू क्यो नही आता है ?