View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2123 | Date: 25-May-19971997-05-251997-05-25किसीके साथ क्या, हर कोई अपनेआप से छल कर रहा है?Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kisike-satha-kya-hara-koi-apaneapa-se-chhala-kara-raha-haiकिसीके साथ क्या, हर कोई अपनेआप से छल कर रहा है?
जानकर कुछ कड़वी सच्चाइयों को आँख-आड़े कान कर रहा है।
स्वीकारने की बजाय अपनेआप की बुराइयाँ, किसी ना किसी पर थोप रहा है।
नए-नए, मीठे-मीठे बहाने की ओड में हरकोई अपनेआप को छुपा रहा है।
खुद की अच्छाईयाँ साबित करनेपर हरकोई यहाँ तूला हुआ है।
मीठी-मीठी जूबाँ से जहर अन्य को पिला, हर कोई पिला रहा है।
नही खबर है कल की फिर भी परसों की तारीख एक-दूजे को दे रहे है।
नाम लेकर भगवान का, भगवान को गाली दे रह है।
अपने अहम और अभिमान में खोकर, सबकुछ अपना खोए जाते है।
खुद अपनेआप ही अपना जीना मुश्किल किए जाते है।
किसीके साथ क्या, हर कोई अपनेआप से छल कर रहा है?