View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2122 | Date: 25-May-19971997-05-251997-05-25जाने-पहचाने अजनबी बन सकते है, अजनबी कभी जाने-पहचाने लगते है।Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=janepahachane-ajanabi-bana-sakate-hai-ajanabi-kabhi-janepahachane-lagateजाने-पहचाने अजनबी बन सकते है, अजनबी कभी जाने-पहचाने लगते है।
कैसे कहे हम कि, इस दुनिया के बाजार में कभी भी कुछ भी हो सकता है।
जिन्हें प्राणों से अधिक चाहा हो, वे पल में दुश्मन बन सकते है।
जहाँ पाते हो अपनेआप को पूरा महफूज, वही पर कातीलाना वार हो सकता है।
कभी दोस्त दुश्मन बनते है, तो कभी दुश्मन दोस्ती के लिए हाथ फैलाते है।
कह इसे अपनी किस्मत या कहे करतूत, हम कुछ भी दावे से नही कह सकते है।
जिसपर सबसे ज्यादा किया हो ऐतबार, वह ही कभी दिल तोड़ देता है।
जहाँ खुदपर खुदा ऐतबार नही, वहाँ अन्य को दोषी कैसे ठहरा सकते है।
जिंदगी की राह में कभी होते है बहुत राही साथ में, तो कभी अकेले रह जाते है।
किसपर लगाए यह कोई इल्जाम हम, कि जहाँ गुन्हेगार तो हम ही होते है।
जाने-पहचाने अजनबी बन सकते है, अजनबी कभी जाने-पहचाने लगते है।