View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1977 | Date: 03-Feb-19971997-02-031997-02-03ना सँभाला है अपनेआप को, ना ही हमें सँभालना आता हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=na-sambhala-hai-apaneapa-ko-na-hi-hamem-sambhalana-ata-haiना सँभाला है अपनेआप को, ना ही हमें सँभालना आता है,
तमन्ना कि वादी में तो, अपना सबकुछ बहता जाता है।
कैसे रोके इस तूफान को, कि जिसके आने का ना पता चलता है,
उठता है ये कई बार दिल में हमारे, ये तो उठता रहता है|
हमारे हौसलें, हमारी तमन्नाओं, को तहस-नहस कर देता है,
उठता है कुछ इस हदतक, कि हमें नीचे गिरा वह जाता है|
चाहते है हम अपनी एक तमन्ना को, पर तमन्नाओं में बँटवारा हो जाता है,
मंजिल पाने कि जगह हमारा भटकना शुरु हो जाता है।
किसे कहे हम गम का शिकवा, के कसूर अपनेआप का होता है|
अब प्रभु तू ही सँभाल ले हमें, कि हमारा जीवन तो व्यर्थ ही गुजरता जाता है|
ना सँभाला है अपनेआप को, ना ही हमें सँभालना आता है