View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4249 | Date: 27-Aug-20012001-08-272001-08-27पता नहीं किसी इम्तहान के लिये मैं तैयार हूँ या नहींSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=pata-nahim-kisi-intahana-ke-liye-maim-taiyara-hum-ya-nahimपता नहीं किसी इम्तहान के लिये मैं तैयार हूँ या नहीं,
और खुदा तू भी पूछ के इम्तहान नहीं लेता है,
सफल रहूँ मैं तेरे सारे इम्तिहान में, दिल मेरा तुझसे ये सदा माँगता है।
माना दिल मेरा हरपल मचलता रहता है, कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है,
आदत है इसकी, कि पाने की ओर ना कभी देखता है, खोने पर रोता है ।
खतम होता है सबकुछ पर दिल में भरी उम्मीदें ना कभी कम होती हैं,
पता नहीं आखिर कहाँ से आकर ये मेरे दिल में बस जाती हैं ।
एक के मरने पर हजारों आरजूयें जन्म ले लेती हैं,
ऐसी हालत में तेरी इमत्हान घड़ी बहुत बार आती है ।
कैसे रहें हम तैयार कि जहाँ ना हम अपने आप में होते हैं,
इसलिए हम अपनी जीत की प्रार्थना तुझसे पहले से ही कर देते हैं ।
पता नहीं किसी इम्तहान के लिये मैं तैयार हूँ या नहीं