View Hymn (Bhajan)

Hymn No. 1874 | Date: 24-Nov-19961996-11-24समझ नही पाया हूँ जहाँ मैं अपनेआप को ठीक सेhttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=samaja-nahi-paya-hum-jaham-maim-apaneapa-ko-thika-seसमझ नही पाया हूँ जहाँ मैं अपनेआप को ठीक से,

वहाँ कोई अन्य मुझे समझे, ये तमन्ना जगाए बैठ़ा हूँ|

कितना पागल हु कि अपना काबू गुमाये बैठ़ा हूँ,

अपनेआप को औरों के हवाले करके सोचता हूँ|

औरों कि खबर में, खुद से खुद बेखबर रहा हूँ,

सबके इशारे पर, नए-नए नाच मैं नाचता जा रहा हूँ|

नहीं है अपनी कमी का एहसास, सबसे फरियाद कर रहा हूँ,

जो पाना है मुझे जीवन में, उसे भूलाए बैठ़ा हूँ|

सत्य को तो समझा नही अपनेआप को झूठे दिलासे देता रहता हूँ,

खुदा तेरी खुदाई में खोने कि जगह, अहंकार में भान भूलाए बैठ़ा हूँ|

समझ नही पाया हूँ जहाँ मैं अपनेआप को ठीक से

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समझ नही पाया हूँ जहाँ मैं अपनेआप को ठीक से,

वहाँ कोई अन्य मुझे समझे, ये तमन्ना जगाए बैठ़ा हूँ|

कितना पागल हु कि अपना काबू गुमाये बैठ़ा हूँ,

अपनेआप को औरों के हवाले करके सोचता हूँ|

औरों कि खबर में, खुद से खुद बेखबर रहा हूँ,

सबके इशारे पर, नए-नए नाच मैं नाचता जा रहा हूँ|

नहीं है अपनी कमी का एहसास, सबसे फरियाद कर रहा हूँ,

जो पाना है मुझे जीवन में, उसे भूलाए बैठ़ा हूँ|

सत्य को तो समझा नही अपनेआप को झूठे दिलासे देता रहता हूँ,

खुदा तेरी खुदाई में खोने कि जगह, अहंकार में भान भूलाए बैठ़ा हूँ|



- संत श्री अल्पा माँ
Lyrics in English


samajha nahī pāyā hūm̐ jahām̐ maiṁ apanēāpa kō ṭhīka sē,

vahām̐ kōī anya mujhē samajhē, yē tamannā jagāē baiṭha़ā hūm̐|

kitanā pāgala hu ki apanā kābū gumāyē baiṭha़ā hūm̐,

apanēāpa kō aurōṁ kē havālē karakē sōcatā hūm̐|

aurōṁ ki khabara mēṁ, khuda sē khuda bēkhabara rahā hūm̐,

sabakē iśārē para, naē-naē nāca maiṁ nācatā jā rahā hūm̐|

nahīṁ hai apanī kamī kā ēhasāsa, sabasē phariyāda kara rahā hūm̐,

jō pānā hai mujhē jīvana mēṁ, usē bhūlāē baiṭha़ā hūm̐|

satya kō tō samajhā nahī apanēāpa kō jhūṭhē dilāsē dētā rahatā hūm̐,

khudā tērī khudāī mēṁ khōnē ki jagaha, ahaṁkāra mēṁ bhāna bhūlāē baiṭha़ā hūm̐|
Explanation in English Increase Font Decrease Font

Didn't understand myself properly in world,

there someone else understands me, I am sitting with this wish

I am so mad that I have lost my control,

I think by handing myself over to others

Others' news I myself have been oblivious to,

I am dancing in a new dance at the behest of everyone,

I do not feel my lack, I am complaining the most

I have forgotten in life what I want to achieve

Neither do I understand the truth, nor do I understood myself, keep on giving false comforts to myself,

Instead of getting lost in your digging, I have forgotten my pride in my ego.