View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 414 | Date: 14-Oct-19931993-10-141993-10-14तू भी पागल, मैं भी पागल, ये जग एक पागलखाना हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=tu-bhi-pagala-maim-bhi-pagala-ye-jaga-eka-pagalakhana-haiतू भी पागल, मैं भी पागल, ये जग एक पागलखाना है,
समझ गया इस पागलपन को, वही समझदार, सयाना है।
जाना उसने, जाना क्या? इस जग में आना-जाना है,
जाने सबकुछ प्रभु तू जग की बातें, इस जग का तू दीवाना है ।
सुख-दुख की ये बातें तो एक झूठ फँसाना है और कुछ नही,
जीवन तो हमारा तेरा दिया नजराना है ।
जानकर तुझे प्रभु हर कोई, फिर भी तुझसे हरकोई अनजाना है,
समझदारी की कुछ बातें आकर तुझे ही सिखानी है ।
भेदभाव पड़े है दिल में, आकर तुझे ही मिटाना है,
पागलपन छाया हुआ है सब पर, उसे तुझे ही दूर हटाना है।
तू भी पागल, मैं भी पागल, ये जग एक पागलखाना है