View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4392 | Date: 22-Mar-20032003-03-222003-03-22उलटी रस्म पिया तेरी कैसे समझ में आयेSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=ulati-rasma-piya-teri-kaise-samaja-mem-ayeउलटी रस्म पिया तेरी कैसे समझ में आये,
सर काट के ताज पहनाये कैसे कोई समझ पाये,
चाहे कुछ पाना तो हार थक के रह जाये,
छोडे चाह जहाँ पानेकी, बार बार उसे मिलते जाए,
चाह जहाँराह कहें ये बात हम ये समझ पाये,
तू कहे जहाँ कोई राह नहीं कैसे समझ पाये,
ऐसी चाल है तेरी के जीत कर भी हारते रह जाए ।
भक्ति में खुद को लुटाकर सब कुछ पा जाये,
ज्ञान में शर्म से अंधकार भी लूट जाए ।
कर्म में बेडी तू पहनाकर जाए ।
कि हरहाल में हम फसते ही जाए ।
उलटी रस्म पिया तेरी कैसे समझ में आये ?
उलटी रस्म पिया तेरी कैसे समझ में आये