View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4393 | Date: 22-Mar-20032003-03-222003-03-22कहते है हम तुझसे बहुत, फिरभी कहाँ कुछ कहते हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kahate-hai-hama-tujase-bahuta-phirabhi-kaham-kuchha-kahate-haiकहते है हम तुझसे बहुत, फिरभी कहाँ कुछ कहते है,
सीखा है हमने व्यर्थ बकवास करना, कहाँ कुछ और बात करना सीखा है ।
बढ़ती चाहतों के सैलाब में हम बहते चले, कहाँ आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं,
दास्ताने दर्द को दोहराने की बन गई है आदत हमारी, कहाँ इजहारे मोहब्बत करना जानते है ।
रोने-बिलखने में मिलता है ज्यादा चैन, ये पता नहीं कि बार-बार जिक्र वही करते हैं,
नशा तेरी मोहब्बत का लगता है अच्छा, पर फिरभी भटकते हुए हम रहते हैं ।
कहते है हम तुझसे बहुत, फिरभी कहाँ कुछ कहते है