हो नज़ारे कितने भी हसीन नजर में, कैद नहीं हो सकते है ।
बस याद ही उसकी तसवीर बन जाती है |
हो कितना भी प्यार किसी से,
प्यार बांधे उसे, पर प्यार कभी
बंधन से बंधता नहीं है |
- संत श्री अल्पा माँ
हो नज़ारे कितने भी हसीन नजर में, कैद नहीं हो सकते है ।
बस याद ही उसकी तसवीर बन जाती है |
हो कितना भी प्यार किसी से,
प्यार बांधे उसे, पर प्यार कभी
बंधन से बंधता नहीं है |
- संत श्री अल्पा माँ