View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2120 | Date: 25-May-19971997-05-251997-05-25बहलाना चाहा पर बहला ना सके, मनाना चाहा पर मना ना सकेSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=bahalana-chaha-para-bahala-na-sake-manana-chaha-para-mana-na-sakeबहलाना चाहा पर बहला ना सके, मनाना चाहा पर मना ना सके,
अपने मन को हम अपनी मर्जी के मुताबिक चला ना सके।
किए बहुत जतन हमने, पर जीत हासिल हम कर ना सके,
अपनेआप को दर्द की जंजीरों से हम मुक्ति दिला ना सके।
जाता रहा वह बार-बार वहाँ, जहाँ हम दुःख-दर्द से छुटकारा पा ना सके,
काम ये खुद का हम खुद कर ना सके, बहलाना चाहा पर .....
थी कुछ उम्मीदें दिल की ऐसी जिन्हें हम किनारों पर ला ना सके,
डूबते रह मझधार में, पानी में रहकर भी प्यास अपनी बुझा ना सके।
चाहा बदलना तो बहुत पर बदलाव को स्वीकार ना सके,
मन को करना चाहा वश में, पर बेबसी हम कम ना कर सके।
बहलाना चाहा पर बहला ना सके, मनाना चाहा पर मना ना सके