View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1867 | Date: 15-Nov-19961996-11-151996-11-15बिगड़े अगर एक पल, तो कई पले बिगड़ सकते हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=bigadae-agara-eka-pala-to-kai-pale-bigada-sakate-haiबिगड़े अगर एक पल, तो कई पले बिगड़ सकते है,
सँवरे अगर एक पल, तो कई पले सँवर सकती है|
बीतनेवाली हरपल, आनेवाली पल पर अपना असर छोड़ जाती है,
है ये सिलसिला समय का, जो हम पर अपनी छाप छोड़ जाता है|
हमारे मन पर, हमारे दिल पर, गहेरी असर छोड़ जाती है,
बितनेवाले पल तो बीत जाती है, पर हमारे मन को भी साथ ले जाते है|
नहीं देखा किसीने भी इसका रूप, ये कोई भी रूप लेके आ सकती है,
अगर हो हमारी पूरी तैयारी, तो कोई भी पल हमारी बिगाड़ नही सकते है।
सुखदुःख से भरे पल में चुनना आए, तो वे हमें खुशी दे सकती है,
होता है सबकुछ एक ही पल में, तो कभी भी कुछ भी ये कर सकती है|
बिगड़े अगर एक पल, तो कई पले बिगड़ सकते है