View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1868 | Date: 16-Nov-19961996-11-161996-11-16स्वीकार कर, तू स्वीकार कर, तू स्वीकार करSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=svikara-kara-tu-svikara-kara-tu-svikara-karaस्वीकार कर, तू स्वीकार कर, तू स्वीकार कर,
ये दिल, तू जिंदगी कि सच्चाई को तू स्वीकार कर, तू स्वीकार कर।
ना हारना है तुझको, ना तुझे टूटना है, पर कर तू मुकाबला कर,
अपनेआप को तू झूठे खयालों और भ्रम की जाल से आजाद कर।
रहेगा कब तक आखिर तू जिंदगी से यूँ मुँह मोड़कर,
चारों तरफ है जब मुसीबतें ही मुसीबतें, ऐसे में जाएगा कहाँ तू भागकर।
छोड़ दे बहलाना तू अपनेआप को, अब तो तू अंजाम का खयाल कर,
जान ले पहले अपने दिल की चाहत, फिर उसे समझकर तू पूरी कर,
अपना मालिक जब तू आप है, फिर बैठ़ा है तू क्यों गुलाम बनकर।
जाना है एक दिन सबको, पर जाना है तुझे कहाँ, उसका तू फैसला कर,
पानी है परम जीत जब तुझे, तो तू अब परम पुरूषार्थ कर।
स्वीकार कर, तू स्वीकार कर, तू स्वीकार कर