View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1957 | Date: 18-Jan-19971997-01-181997-01-18दुःख-दर्द कि बात क्या करे हम, कि छोड़ो ये सिलसिला पुराना है|Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=duhkhadarda-ki-bata-kya-kare-hama-ki-chhodao-ye-silasila-purana-haiदुःख-दर्द कि बात क्या करे हम, कि छोड़ो ये सिलसिला पुराना है|
छोड़कर नए नगमें, पुराने नगमें को क्या बार-बार दोहराना है|
कैसे रहे जीवन इसके बिना, कि अपने दिल में दुःख-दर्द का घर बनाया है|
दुःख-दर्द का एहसास तो वही है, बस इसका अंदाज़ बदलता आया है|
हो कम या ज्यादा आखिर तो, हमें और सिर्फ हमें ही सहना है|
ना बाँट सके हम किसीके साथ इसे, इसलिए कहते कि ये अपना है|
मिटाने को इलाज़ करते नही हम, हर वक्त ये बढ़ते रहता है|
जान में बसा है जो उसका जिक्र, तो अपनेआप होठों पर आना है|
हम चाहे या ना चाहे, पर इसका साथ बहुत दूर तक निभाना है|
चाहे लगे तुम्हें हर वक्त नया, पर छोड़ो यारों ये सिलसिला पुराना है|
दुःख-दर्द कि बात क्या करे हम, कि छोड़ो ये सिलसिला पुराना है|