View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4229 | Date: 05-Aug-20012001-08-052001-08-05एक मुरझाए फूल की चिंता में हजारों मुस्कुराते फूल जला देते हैंSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=eka-murajae-phula-ki-chinta-mem-hajarom-muskurate-phiulaएक मुरझाए फूल की चिंता में हजारों मुस्कुराते फूल जला देते हैं,
आजतक ना चला पता हमको, लोग ऐसा क्यों करते है ?
खिलते महेकते बाग बगीचों को, विरान कर देते हैं, आखिर ऐसा क्यों ?
मुस्कुराते फूल भी तो देखो मुस्कुराना अपना नहीं छोड़ते हैं,
किसीकी बेरहमी को कभी वो नहीं देखते हैं, आखिर पता नहीं .....
जो जा चुका उसके लिये, किसकी ज़िंदगी छिन लेते हैं, पता नहीं .....
इसे कहें हम कुरबानी या बेरहमी, ये समझ नहीं पाते हैं,
जो भी हो खिलते फूलों का जलना देख नहीं पाते हैं,
समझकर कुछ रिवाज़ बनते हैं या फिर अंधी दौड़ लगाई जाती है,
इन रीति रिवाज़ों को हम समझ नहीं पाते है, पता नहीं लोग ऐसा क्यों ......
एक मुरझाए फूल की चिंता में हजारों मुस्कुराते फूल जला देते हैं