View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4309 | Date: 27-Oct-20012001-10-272001-10-27हलके से दर्द को दिल से निकाल पाते नहींSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=halake-se-darda-ko-dila-se-nikala-pate-nahimहलके से दर्द को दिल से निकाल पाते नहीं,
किसीकी हाल चाल पर मुहर अपनी लगाये बिना रहते नहीं ।
फिरभी खुदा ना पूछ तू हमसे, हम क्या क्या दावा करते हैं,
कि कहने को कहे देते हैं तुझे पाना चाहते हैं ।
दास्तायें दर्द को जीवन में दोहराने से ना थकते हैं,
रंजों गम का लेके जाम, मैं मस्ती की बातें करता हूँ ।
समझाने को समझाता हूँ जमाने को, खुद ही समझ से परे रहता हूँ,
क्या करना नादानी की चर्चा, कि बिना चर्चे जब ये जाहिर है ।
सँभल-सँभलकर चाहते हैं चलना पर आदत के आगे हार जाते हैं,
हकीकतों से कम, ख्वाबों से ज्यादा नाते रखते हैं ।
हलके से दर्द को दिल से निकाल पाते नहीं