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Hymn No. 64 | Date: 29-Aug-19921992-08-291992-08-29हँसती है एक आँख मेरी, तो रोती है दूसरीSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=hansati-hai-eka-ankha-meri-to-roti-hai-dusariहँसती है एक आँख मेरी, तो रोती है दूसरी,
जीवन का एक स्वरूप हसता है, तो दूसरा रोता ।
स्वीकारता हूँ मैं दोनों स्वरूपों को,
नत मस्तक होकर अभिमान तो गया मेरा
पर स्वाभिमान भी गया जब मेरा,
तब मिले मेरे प्रभु मुझे, कमल की तरह।
खिल गये दो नयन मेरे,
चली गई जिंदगी से खामोशी,
मिल गई मंजिल मुझे।
हँसती है एक आँख मेरी, तो रोती है दूसरी