View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4364 | Date: 23-Aug-20022002-08-232002-08-23जानकर कछु नाही जाने, समझ के कछु नाही समझेSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=janakara-kachhu-nahi-jane-samaja-ke-kachhu-nahi-samajeजानकर कछु नाही जाने, समझ के कछु नाही समझे,
देकर मिट्टी सोना खरीदना चाहे, सोने को मिट्टी के भाव बेचे।
समझायें हम अपने आपको, पर समझ में कछु नाहीं आये,
सौदाबाज बडे बनके निकले हैं, पर हार ही हार पाये।
नजरों के धोखों से चाहे बचना बहुत पर बच नहीं पाये,
कहें तो क्या कहें कहने जैसा कुछ पास में बच ना पाये ।
खोट की चोट हम किसीको बता भी तो ना पायें,
विश्वास की गठरी बाँध कर, दी थी तूने हमको प्यार से ।
खाली उसे करते ही जायें, बेदाम उसे बेचते ही जायें,
क्या बतायें हालात कि जहाँ तेरी मिलकत को सँभाल ना पायें ।
जानकर कछु नाही जाने, समझ के कछु नाही समझे