View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4235 | Date: 11-Aug-20012001-08-112001-08-11जो सर काटेगा वही साम्राज्य पायेगाSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=jo-sara-katega-vahi-sanrajya-payegaजो सर काटेगा वही साम्राज्य पायेगा,
तेरी उल्टी बातों को कोई कैसे समझ पायेगा ।
समझेगा वो तो सबकुछ पायेगा,
ना समझों का कारवाँ तो चलता जायेगा ।
तेरी रीत रस्म है निराली, बात तेरी हमने ना जानी,
जो मिट जायेगा वो जीत जायेगा ।
कहता है आखिर ऐसा क्यों तू ये ना जाना,
प्रित की रीत है ये कैसी, हमने इसको ना पहचाना ।
जो मेरी यादों में डूब जायेगा, वही किनारा पायेगा,
जो मिटेगा प्यार में मेरे, वही अजर अमर हो जायेगा ।
जो सर काटेगा वही साम्राज्य पायेगा