View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1682 | Date: 12-Aug-19961996-08-121996-08-12कहते-कहते बहुत कह दिया, अब तक कहता ही रहा हूँ मैं|Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kahatekahate-bahuta-kaha-diya-aba-taka-kahata-hi-raha-hum-maimकहते-कहते बहुत कह दिया, अब तक कहता ही रहा हूँ मैं|
ठीक से याद भी नही कहाँ से की थी शुरूआत, पर अब तक चल रहा हूँ मैं|
ना थका हूँ सिर्फ इसी बात में, बाकी बातों में थक गया हूँ मैं|
ना हो खत्म ऐसा है ये सिलसिला, जिसे खत्म करना चाहता हूँ मैं,
कि चंद बोल तेरे भी अब सुनना चाहता हूँ मैं|
कुछ भी नही कहना है मुझे, कि चुप रहना चाहता हूँ मैं|
कहे तू कुछ और मैं सुनूँ, बस अब तो यही चाहता हूँ मैं|
गुज़रते वक्त के पैगाम को सुनना चाहता हूँ मैं, कि अब चुप रहना ...
बनी बिगाड़ी थी खुद मैंने ही, अब बिगड़ी बनाना चाहता हूँ मैं|
कहे जो तू कुछ उसे सुनकर, अपना जीवन सुधारना चाहता हूँ मैं|
मिला ये जीवन ना जाए व्यर्थ मेरा, कि इसे सार्थक करना चाहता हूँ मै|
कहते-कहते बहुत कह दिया, अब तक कहता ही रहा हूँ मैं|