View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1683 | Date: 12-Aug-19961996-08-121996-08-12तू भी मजबूर है, मैं भी मजबूर हूँ, शायद इसीलिए हम एक-दूसरे से दूर हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=tu-bhi-majabura-hai-maim-bhi-majabura-hum-shayada-isilie-hama-ekadusareतू भी मजबूर है, मैं भी मजबूर हूँ, शायद इसीलिए हम एक-दूसरे से दूर है,
तू अपनी मजबूरी से, तो मैं अपनी मजबूरी से, पर दोनों ही मजबूर है।
तू कर्म के हाथों मज़बूर है, और हम अपनी इच्छाओं के हाथों मजबूर है,
वैसे देखे तो ना तू मजबूर है, ना मैं मजबूर हूँ, पर तू भी...
है पास-पास हम कितने कि ये कहना थोड़ा मुश्किल है,
तू है मेरा साथी संग-संग होते हुए भी हम कुछ दूर है|
है ना जाने कौनसे ऐसे बंधन, जिसने किया हमें मजबूर है|
प्रभु तू अपने बताए नियम के आगे और हम अपने अहंकार के आगे मजबूर है|
नहीं रहना हमें दूर, है पाना एक-दूसरे का पुरा प्यार है|
है इच्छा हमारी एक होने कि, पर कैसे बताए इस इच्छा मैं कितना जोर है|
तू भी मजबूर है, मैं भी मजबूर हूँ, शायद इसीलिए हम एक-दूसरे से दूर है