View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4370 | Date: 04-Nov-20022002-11-042002-11-04काहे तू घबराए.....(2)Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kahe-tu-ghabaraeकाहे तू घबराए.....(2)
साथ जहाँ, संग जहाँ हरपल मैं हूँ तेरा, तो काहे तू घबराए,
काहे लगे तोये तेरी मुसीबतों का अंत ना आये,
जीवन के इस सफर को क्यों मुसीबत तू माने, काहे तू घबराए,
जो नहीं तेरा, उसे माने क्यों तू अपना, जो नहीं है पाना उसके पीछे रोये ,
ख्वाबों को अपने तू क्यों इस तरह संजोये कि,
खोकर ख्वाहिशों में अपनी, दामन तू मेरा थामना क्यों भूल जाये .....
कर ले याद तू मेरे राम स्वरूप को, बंदरों ने भी पानी पर पुल बनाये .....
धड़कते दिल का धड़कन जहाँ अपने आप मिलती जाये,
तेरे साँसों का कारवाँ सोच जरा कौन चलाये कि काहे तू घबराए,
चल रहा है सारा जहाँ मेरे दम जहाँ वहाँ तू काहे घबराए ।
काहे तू घबराए.....(2)