View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 222 | Date: 16-Jul-19931993-07-161993-07-16कही नगर जले, कही पर घर जलेSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kahi-nagara-jale-kahi-para-ghara-jaleकही नगर जले, कही पर घर जले,
कही तन जले, कही मन जले,
कही पर दिल जले, कही पर जले रुह,
आज हो या कल जलते इस संसार में, हर कोई जले हर पल।
कोई जिंदा जले, तो कोई मरकर जले,
पर पल-पल जलते इस संसार में, जले हर कोई।
सोया हुआ है यहाँ हर कोई लकडी की चिता पर,
कोई जले आग से, तो कोई जले बिना आग के।
लगी हुई आग ही आग, चारों तरफ जल रहे हैं सब,
लगी हुई आग में कोई जले जजबात से,
कोई जले बात-बात में, कोई जले मोहब्बत में,
कोई जले नफरत में पल-पल,
जलते संसार में जले हर कोई हरपल।
कही नगर जले, कही पर घर जले