View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4359 | Date: 28-Mar-20022002-03-282002-03-28कहीं चहकती, कहीं बहकती, कही महकती ये ज़िंदगीSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kahim-chahakati-kahim-bahakati-kahimahakati-jaindagiकहीं चहकती, कहीं बहकती, कही महकती ये ज़िंदगी,
कही सुलगती, कहीं जलती, कहीं तड़पती ये ज़िंदगी,
कभी मासूमियत, तो कभी दर्द का लिबास पहनती ये ज़िंदगी,
कहीं तड़पती, कही तरसती, तो कहीं भटकती ये ज़िंदगी,
ना जाने कहाँ से आई और क्यों बहती है ये ज़िंदगी,
कभी शबनम, तो कभी शोला लगती ये ज़िंदगी,
कितने नाजो ग़म उठाकर, अपने कंधों पर आगे बढ़ती ये ज़िंदगी,
चाहत बरसाती तो कभी नफरत बरसाती ये ज़िंदगी ।
कहीं चहकती, कहीं बहकती, कही महकती ये ज़िंदगी