View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2041 | Date: 10-Mar-19971997-03-101997-03-10खुद के किए पर खुद को ही रोना पड़ता है।Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=khuda-ke-kie-para-khuda-ko-hi-rona-padata-haiखुद के किए पर खुद को ही रोना पड़ता है।
अकसर किस्मत के मारों को खुदा जल्दी याद आ जाता है|
किस्मत खिली हुई हो तब तक तो अपनेआप से फुरसत कहाँ हम पाते है|
मुरझाने पर किस्मत की कली, खुदा की गली बार-बार हम जाते है|
यही रहा है दस्तूर अबतक, ना कोई बदलाव इस में आया है|
चाहते है आगे बढ़े, पर गौर से देखते है तो अपनेआप को वही पाते है|
कैसे करे वह कुछ और बात कि, जहाँ अपनेआप से बहार निकल नही पाते है|
मतलब के पके रंग से रंगे है ऐसे कि वह रंग से छूटकारा नही चाहते है|
फिक्र नही है किसी और की, बस अपनी बिगड़ी ही बनाना चाहते है|
कैसे उठे वह किस्मत से ऊपर जो बार-बार झूकना ही पसंद करते है|
खुद के किए पर खुद को ही रोना पड़ता है।