View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4332 | Date: 09-Jan-20022002-01-092002-01-09किसीकी चाहत को बदनाम करना ये चाहत की रीत नहींSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kisiki-chahata-ko-badanama-karana-karanaki-rita-hata-nahimki-rita-hataकिसीकी चाहत को बदनाम करना ये चाहत की रीत नहीं,
कसमों-वादों की सौगात लेकर मोहब्बत की राह पर चलना, ये चाहत .....
अपनाने की जगह करना ठुकराने की बात, ये चाहत की रीत .....
मनमानीओं की राह पर सरेआम चलते जाना, ये चाहत की रीत .....
बिना सोचे, बिना समझे, इलजामों की बरसात बरसाना, चाहत .....
किसीकी तमन्नाओं की कदर ना करना, ये चाहत की रीत नहीं,
प्रित करने निकले हो जहाँ, ना जाना प्रित की रीत को,
छूटता नहीं जहाँ खुद का दामन वहाँ कुछ और हाथ आता नहीं,
प्यार के पलों को बिखराने की जगह करना बैर, ये प्रित की रीत नहीं,
दास्तायें दर्द को बढ़ाते जाना, ये प्रित की रीत नहीं .....
किसीकी चाहत को बदनाम करना ये चाहत की रीत नहीं