View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1950 | Date: 17-Jan-19971997-01-171997-01-17किया दर्द ने बहुत मज़बूर, अब दर्द को मजबूर करना है|Sant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=kiya-darda-ne-bahuta-majabura-aba-darda-ko-majabura-karana-haiकिया दर्द ने बहुत मज़बूर, अब दर्द को मजबूर करना है|
ए खुदा तुझसे दूर नही, तेरे पास नही, अब तो तुझमें एक हो जाना है।
तड़पाया है विरह ने मुझे बहुत, अब विरह को तड़पाना है|
कभी जुदा ना हो हम, कि इंतजार को सदा के लिए मिटाना है|
अड़िग होकर, एकता कि राह पर कदम हमें बढ़ते जाना है|
पाना है तुझे, ए खुदा बाकी सबकुछ हमें तो भूल जाना है|
बुलंद करना है हमें अपने इरादे को, इतना की सारे बंधनो को तोड़ना है|
किया मजबूरीने हमें बहुत मजबूर, अब मजबूरी को मजबूर करना है|
ना नजर झुकाकर, ना नज़र उठ़ाकर, तुझसे नजर मिलाकर बात करनी है|
चाहे जो भी होना हो सो हो, पर हमें तो अपनी मंजिल पानी है|
किया दर्द ने बहुत मज़बूर, अब दर्द को मजबूर करना है|