View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1388 | Date: 26-Oct-19951995-10-261995-10-26मजबूरी में मजबूर हो वह तू नहीSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=majaburi-mem-majabura-ho-vaha-tu-nahiमजबूरी में मजबूर हो वह तू नही,
दुख-दर्द आने पर आँसू बहाए जा वह तू नही,
आने पर मुसीबतें मुसीबतों में टूट जाए जो वह तू नही,
टूटने पर आशा-निराशा में डूब जाए जो, वह तू नही,
हँसी को बेचकर गम की पनाहमें जो जीए वह तू नही,
बेसहारा कहकर खुद को ढूँढे दूसरों में जो सहारा वह तू नही,
कदम-कदम पर बेबसी और मायूसी का शिकार हो जाए जो वह तू नही,
अपने ख्वाब को हकीकत में ना बदल सके जो वह तू नही,
छीन कर सुख-चैन औरों का, दे औरों को दुःख वह तू नही,
है खुद का खुदा तू, गुलाम बनकर गुलामी करनेवाला तू नही।
मजबूरी में मजबूर हो वह तू नही