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Hymn No. 4386 | Date: 22-Mar-20032003-03-222003-03-22मेरी नाकामियाबी को कैसे तेरी मर्जी मानलूँSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=meri-nakamiyabi-ko-kaise-teri-marji-manalumमेरी नाकामियाबी को कैसे तेरी मर्जी मानलूँ,
कोई मां अपने बच्चों की नाकामियाबी चाहती नहीं,
चाहे वो तो हरपल उसे कामियाबी के शिखर पार करते हुए देखने को,
मेरी नादानियों को सहा माँ तूने बहुत, अबके ना सहना,
मेरी मनमानियों ने दी मुझे नाकामियाबी, इसे और अब चलने देना नहीं,
वादा रहा मेरा तुझसे कदम-कदम आगे बढ़े बिना अब हमें रहना नहीं,
नाकामियाबी और कामियाबी के बीच के ‘ना’ को मिटाये बीना रहना नहीं,
माँ सच्ची सूझ बूझ को जगाये बीना अबके रहना नहीं ।
मेरी नाकामियाबी को कैसे तेरी मर्जी मानलूँ