View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1178 | Date: 07-Feb-19951995-02-071995-02-07ना जाने आई कौन-सी रूकावट है, कि मुझसे रूठ़ी मेरी चाहत हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=na-jane-ai-kaunasi-rukavata-hai-ki-mujase-ruthai-meri-chahata-haiना जाने आई कौन-सी रूकावट है, कि मुझसे रूठ़ी मेरी चाहत है,
किस्मत ने दोहराई कौनसी कहानी है, कि मुझसे रूठ़ी मेरी चाहत है।
दिल की ऐसी कौन-सी ख्वाईश है, कि मुझसे रूठ़ी मेरी चाहत है,
ना जाने कि मैंने ऐसी कौन-सी आजमाईश है, कि मुझसे रूठ़ी मेरी चाहत है।
अनजाने में दी मैंने किसको दाँवत हैं, कि मुझसे रूठ़ी मेरी चाहत है।
ना जाने ऐसी कौनसी मेरी बुरी आदत हैं, कि मुझसे रूठ़ी मेरी चाहत है।
ना जाने कहाँ कमी रह गई हैं मेरी सजावट़ में, कि मुझसे रूठ़ी मेरी चाहत है।
मान जाए मेरी चाहत, मिल जाए मेरी चाहत मुझको वापस,
दुनिया में जाऊँ मैं कहाँ, ऐसी कौन-सी अदालत हैं जहाँ मिल जाए मुझको
कर सकता है अगर कोई दूर थकावट़ मेरी, तो वह मेरी चाहत है।
ना जाने आई कौन-सी रूकावट है, कि मुझसे रूठ़ी मेरी चाहत है