View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1346 | Date: 21-Aug-19951995-08-211995-08-21ना लूट सका जिसको कोई, उसको भी आज किसी ने लूट लियाSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=na-luta-saka-jisako-koi-usako-bhi-aja-kisine-luta-liyaना लूट सका जिसको कोई, उसको भी आज किसी ने लूट लिया,
लूट लिया, लूट लिया, मुझको मेरी चाहत ने लूट लिया।
कभी जिंदा किया तो कभी मुझको मार दिया, मेरी चाहत ...
किया शर्मिंदा कभी ऐसा मुझको, कि मैं उदास हुआ, ना लूटा ...
चाहत ने ना दी मुझको राहत, मैं राहत पाने के लिए चाहता रहा,
लुट गया मेरा बना गुलशन, पता उसका मुझको देर से चला।
जिस्म से नूर को छीन लिया मेरी, चाहत ने मुझको फूँक दिया,
घरवालों ने ही घर को लूट लिया, अब क्या फरियाद इसकी मेरी।
अपनी चाहतों से ना पाया खुला रास्ता मैंने, रुकावट का सिलसिला बढ़ता गया,
ना छोड़ सका, फिर भी ना खुदा तुझे सौंप सका, इसलिए मैं लुट गया ।
ना लूट सका जिसको कोई, उसको भी आज किसी ने लूट लिया