View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1347 | Date: 30-Aug-19951995-08-301995-08-30रूकना था हमें जहाँ, वहाँ पर हम रूक ना सकेSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=rukana-tha-hamem-jaham-vaham-para-hama-ruka-na-sakeरूकना था हमें जहाँ, वहाँ पर हम रूक ना सके,
थके ऐसे कि हम और आगे बढ ना सके।
पहुँचाना था जहाँ पर वहाँ पहुँच ना सके,
ना पा सके मंजिल रास्ते में, आखिर हम रह गए।
अनजान मोड़ पर खड़े रहने की हिम्मत हम जूटा ना सके,
हुइ ऐसी हालत कि ना घर के ना घाट के हुए।
हुई हालत हमारी हर बार ऐसी पर कुछ सीख ना सके,
औरों पर करने की करते रहे बात, पर खुद अपनेआप पर भी रहम खा ना सके।
डूबे कभी निराशा में कि हम आशा का बोझ उठा ना सके,
बहाते रहे आँसुओं को, मुस्कुराहट को हम पा ना सके।
रूकना था हमें जहाँ, वहाँ पर हम रूक ना सके